हनुमान चालीसा का विधि पूर्वक 100 बार पाठ करने का अनेको फायदाहै लेकिन पाठ नियम पूर्वक पूरी निष्ठा से करने पर।अगर आप के मन में किसी प्रकार का संदेह या किन्तु-परन्तु है तो इसके पाठ करने से कोई फायदा नहीं होगा। कहते हैं कि भावमिच्छन्ति देवता: अर्थात ईश्वर भाव के भूखे हैं, बस ईश्वर का स्मरण शुद्ध भाव से और निर्विकार मन से किया जाय। अगर आप इसे बोझ समझ कर करते हैं तो 100 बार पाठ करना कोई अनिवार्य नहीं है। मन से अगर 1 बार या 11 बार पाठ करना भी फलदायी है। हाँ अगर आप सहज मन से हनुमान चालीसा का पाठ सत यानि 100 बार करना चाहते हैं तो निश्चित रूप से बहुत ही फल दायी है।
हनुमान चालीसा रामचरित मानस के रचनाकार संत तुलसीदास द्वारा किया गया एक अद्भुत रचना है। यह चालीस चौपाइयों का संग्रह है जो अवधि भाषा में लिखा गया है। इसका प्रत्येक चौपाई अपने आप में एक सिद्धि मन्त्र के तरह फलीभूत होने वाला है। इसमें महावीर हनुमान संकष्ट मोचन का गुणगान करते हुए उनको अपने बल का समरण करा कर भक्तों को कष्ट के निवारण का प्ररत्न किया गया है। अतः यह कहा जा सकता है कि हनुमान चालीसा के माध्यम से भक्त संकट मोचन को अपने कष्ट से निजात दिलाने के लिए प्रसन्न कर सकते है।
हनुमान चालीसा का पाठ किस तरह कष्टों का निवारण करता है वह इन चौपाइयों में बर्णित है।
जो सात वार पाठ कर जोई छूटहि बंदी महा सुख होई – जो व्यक्ति हनुमान चालीसा का 100 दिनों तक शुद्ध अंतर्मन से नियमित पाठ करता है, उसे सभी बंधनों से मुक्ति मिलती है और वह महान सुख प्राप्त करता ह।
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा, होइ सिद्ध साखी गौरीसा – जो भी व्यक्ति हनुमान चालीसा का पाठ करता है, उसे गौरीसा अर्थात कृपालु भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वह सिद्धि प्राप्त करता है। भगवान आशुतोष उस पर प्रसन्न होते हैं।
संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमंत बलबीरा – जो व्यक्ति हनुमान जी का स्मरण करता है, उसके सभी संकट दूर हो जाते हैं और सभी पीड़ाएं मिट जाती हैं। “बलबीरा” यहां हनुमान जी को संदर्भित करता है, जो अत्यधिक शक्तिशाली और बलशाली हैं, और उनके स्मरण से सभी दुःख और पीड़ा का अंत हो जाता है।
साधु संत के तुम रखवारे, असुर निंकदन राम दुलार – आप ऋषि मुनियों के रक्षा करनेवालेऔर भगवान राम जी के अति प्रिय हैं, असुरों अर्थात राक्षस कुल को नष्ट करते हैं। यह पंक्ति हनुमान चालीसा में है और इसमें महावीत हनुमान जी की भक्ति और रक्षाकारी शक्तियों का वर्णन किया गया है।
संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै – जो व्यक्ति हनुमान जी के भक्ति में मन, क्रिया और वचन से समर्पित रहता है, उसे सभी प्रकार के संकटों व बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है। इस चौपाई में हनुमान जी की शक्ति और उनकी कृपा का वर्णन संत तुलसी दास करते हैं।
नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा – तुलसी दास कहते हैं कि जो व्यक्ति हनुमान जी की भक्ति, पूजा और जप निरंतर करता रहता है उसको सभी विघ्न बाधा से मुक्ति मिलती है।
भूत पिसाच निकट नहीं आवै, महाबीर जब नाम सुनावै – जो व्यक्ति भगवान हनुमान के नाम का जाप करता है, उसको भूत-प्रेत पिशाच आदि किसी भी प्रकार के अशुभ शक्तियाँ कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। इस श्लोक में हनुमान जी की भक्ति और उसके नाम के महत्ता का वखान किया गया है।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रच्छक काहू को डरना – हनुमान जी के शरण में आने से सभी प्रकार के सुख की प्राप्ति होती है। जब वे हर भक्त का रक्षा करने वाले हैं तो किसी को डरने की आवश्य्कता नहीं है। इस पंक्ति में हनुमान जी की पूजा और भक्ति की महत्ता को बताया गया है।
कुमति निवार सुमति के संगी – हनुमान जी मनुष्य के अंदर की विकार को दूर करने वाले है। वह व्यक्ति के बुरी सोच दूर कर अच्छी सोच भर देते हैं।
और मनोरथ जो कोइ लावै, सोइ अमित जीवन फल पावै – हनुमान जी सभी अभिलाषाओं को पूरा करते हैं, वे अनंत जीवन का फल देने वाले है। इस श्लोक में यह कहा गया है कि हनुमान जी के भक्ति से सभी अभिलाषाएं पूरी होती है और वह अमर जीवन के फल को प्राप्त करता है।
भगवान श्री राम जब अपने धाम को जाने लगे तो अपने सबसे बड़े भक्त भगवान हनुमान को आदेश दिया कि कलियुग के अन्त तक धरती पर निवास करें और भक्तों के कष्टों-पीड़ाओं आदि का निवारण करते रहे। स्पष्ट है कि आज भी हनुमान जी अपने भक्तों के कष्टों को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है। हनुमान चालीसा, संकटमोचन को खुश करने का सरल और सहज साधन है। प्रतिदिन नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करने से न केवल आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, बल्कि समस्त परेशानी से छुटकारा मिलता है।
श्री हनुमान चालीसा – Hanuman Chalisa
हनुमानजी की आरती – Hanuman Ji Ki Aarti
मंगलवार व्रत कथा – Mangalvar Vrat Katha in Hindi
बजरंग बाण – Bajarang Baan in Hindi
हनुमान कवच – Hanuman Kavach
हनुमानजी, भगवान राम के ही भाई थे
हनुमान जी ने किया प्रभु श्री राम के विरुद्ध युद्ध का संचालन किया
हनुमान जी भूले अपनी शक्ति – Hanuman forgot his power in Hindi