एक श्लोकी रामायण (Ek Shloki Ramayana) अर्थ सहित
इस दो पंक्ति के एक श्लोकी रामायण (Ek Shloki Ramayana) के पाठ करने से सम्पूर्ण रामायण के पाठ का फल प्राप्त होता है।
हिन्दू धर्म के अनेक ग्रंथो में रामायण का एक विशिष्ट स्थान है। इसमें प्रभु श्री राम की जीवन लीलाओं का वर्णन किया गया है। साक्षात भगवान विष्णु पृथ्वी पर मनुष्य योनि में प्रभु श्री राम के रूप में अवतार लेकर पृथ्वी के सभी प्राणियों का मार्ग दर्शन किया था। ऋषि वाल्मीकि ने राम के सम्पूर्ण चरित्र पर आधारित ग्रन्थ रामायण की रचना की थी ।
मान्यता है कि रामायण पाठ करने से बहुत पुण्य होता है। सभी पापों का नाश होता है। परन्तु इतने बड़े ग्रन्थ का पाठ करने का समय इस भाग दौर की जिंदगी में बहुत कम लोगों के पास है।
ऐसे में वाल्मीकि जी ने अपने रामायण में एक श्लोक का उल्लेख किया है जिसमें सम्पूर्ण रामायण समाहित है। जो भी व्यक्ति इस एक श्लोकी रामायण (Ek Shloki Ramayana) का पाठ नित्य विधि-विधान के साथ करता है उसे सम्पूर्ण रामायण पाठ करने का फल प्राप्त होता है।
एक श्लोकी रामायण (Ek Shloki Ramayana) :-
आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्।
वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम्।।
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्।
पश्चाद्रावण कुम्भकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम्।।
१ श्लोकी रामायण अर्थ :-
एक बार प्रभु राम वन में गए थे। वहां उन्होंने सोने की हिरन का शिकार किया। इसी दौरान उनकी प्रिय पत्नी वैदेही यानि सीता जी का हरण कर लिया गया। उनकी रक्षा में पक्षियों के राजा जटायु ने अपना प्राण दे दिया । ततपश्चात अर्थात उसके बाद श्री राम की सुग्रीव जी से परिचय हुई। फिर प्रभु श्री राम ने सुग्रीव के दुष्ट भ्राता बालि का संहार किया । समुद्र को पार किया गया। लंकापुरी का दहन किया गया । इसके बाद दुष्ट रावण और उसके भाई कुम्भकरण का संहार हुआ। यही संक्षिप्त रामायण है।